अंधकार के पर्दे से - 1 बैरागी दिलीप दास द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अंधकार के पर्दे से - 1

From the Veils of Darkness

यह कहानी उस समय की है जब अंधेरे रहस्यमय घटनाओं का दौर छाया हुआ था। एक छोटे से गांव में रहने वाले रामनाथ अपने पुराने घर में अकेले रहते थे। उनका घर, जो किसी पुरानी देहलीज पर बना हुआ था, भूतों की कहानियों से घिरा हुआ था। गांव के लोग इसे डरावना होने का कारण मानते थे, लेकिन रामनाथ ऐसी बातों में विश्वास नहीं करते थे। वे एक विद्यार्थी थे और उनकी रुचि पर्यावरण विज्ञान में थी। उनके दिमाग में भूतों और भूतप्रेतों के लिए कोई स्थान नहीं था।

एक रात, जब अंधेरे का साया वेल गांव को ढंक रहा था, रामनाथ के घर में अचानक एक चमकता अंधकार घुस गया। बिजली की एक झलक देखकर उन्हें विचार आया कि कोई अचानक उनके घर में आ गया होगा। धीरे-धीरे, उनकी हँसी दब गई और वे आगे बढ़ने से डर रहे थे।

रामनाथ ने धीरे से कहा, "कौन है वहाँ? कृपया बाहर आइए।"

उनकी आवाज को सुनते ही घर के अंदर से वापसी की आवाज आई। बिजली की एक और झलक ने उन्हें दिखाया कि कोई व्यक्ति वहाँ था, लेकिन अँधेरे ने उसकी पहचान छिपा दी थी। वे व्यक्ति के पास जाने के लिए बढ़े, लेकिन वहाँ छूटते हुए उन्हें लगा जैसे वह अपनी ताकत का इस्तेमाल करके घर में रहने वालों के साथ खिलवाड़ करना चाहता हो।

रामनाथ ने अपने मन को समझाने के लिए विचार किया और तत्पश्चात वह उस अज्ञात व्यक्ति के पास जाने की सोच में अवश्यकता महसूस करने लगे। धीरे-धीरे वह बड़े ही थे कि पुराने कमरे में जा पहुंचे, जहाँ से वह आवाज सुन रहे थे।

कमरे में पहुंचते ही रामनाथ को एक अनूठा दृश्य नजर आया। वहाँ एक पुरानी किताब रखी हुई थी, जिसका संकलन तालाबंध से अचानक नीचे आया था। उन्हें लगा कि यह व्यक्ति केवल रूपांतरित होने के लिए आया था और वहाँ कोई रहस्य छिपा हो सकता है।

रामनाथ ने धीरे से अपनी कार्यशैली को जारी
रखते हुए पुस्तक को खोला और देखा कि इसमें उठाने के लिए एक छोटी सी स्विच थी। बड़े आत्मविश्वास के साथ, उन्होंने उसे दबाया। एक चमक उठी और कमरे में आगे बढ़ती दिखाई दी।

धीरे-धीरे, रामनाथ ने एक मामूलीरोशनी के साथ अपने को आगे बढ़ाए। जैसे ही उन्होंने कमरे के बाहर नजर डाली, उन्हें एक चीख की आवाज सुनाई दी। ध्यान से देखते ही उन्हें वह व्यक्ति नजर आया जो उन्हें वहाँ बुलाने के लिए आया था। उन्होंने व्यक्ति को देखा, लेकिन उसका चेहरा अंधेरे में छिपा था।

रामनाथ का मन भय से भर गया, लेकिन उन्होंने अपने आप को सामर्थ्यवान बनाने का फैसला किया। वे व्यक्ति के पास चले गए और बोले, "कौन हो तुम? और तुम मेरे घर में क्या कर रहे हो?"

उस व्यक्ति ने धीरे से हँसते हुए कहा, "मैं तुम्हारा वो बंदर हूँ जो तुम खोज रहे हो।"

रामनाथ का मन हिल गया। वह अचानक बंदर के बारे में याद कर गए, जिसे वे अपनी पुरानी पुस्तकों में पढ़ चुके थे। बंदर, जो अंधेरे में छिपी हुई थी, वह स्थान था जहाँ भूतों का आवास होता था।

रामनाथ ने तत्पश्चात पूछा, "तुम कौन हो और तुम्हारा यहाँ आने क्या मतलब है?"

उस व्यक्ति ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया, "मैं एक आत्मा हूँ, रामनाथ। और मुझे तुम्हारी मदद चाहिए। मेरी आत्मा बंदरगाह में फंस गई है और मैं आत्मसंतुष्टि प्राप्त करने के लिए यहाँ आया हूँ। तुम मेरी मदद कर सकते हो, रामनाथ?"

रामनाथ का दिल दहल गया। क्या यह सम्भव हो सकता है कि उनका घर वास्तव में भूतों का आवास स्थान हो? उन्होंने विचार किया, लेकिन फिर उन्होंने अपने अंदर की वीरता को जगाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, "मैं तुम्हारी मदद करूंगा, लेकिन इसके बदले मुझे यह बताना होगा कि तुम यहाँ कैसे आए और तुम्हारे साथ क्या हुआ।"

व्यक्ति ने मुस्कराते हुए कहा, "रामनाथ, यह सब एक लंबी कहानी है, जिसे मैं तुम्हें सुनाना चाहता हूँ। मुझे अपनी यात्रा के दौरान एक अद्भुत और भयानक अनुभव हुआ है, जो मैं तुम्हें साझा करना चाहता हूँ।"

रामनाथ ने अपनी दृष्टि में एक जगह बनाई और व्यक्ति ने आत्मा की कहानी शुरू की। उन्होंने बताया कि वह भूतों की दुनिया में यात्रा कर रहे थे जब उन्हें एक रहस्यमय घटना का सामना हुआ। वे बंदरगाह में फंस गए और अब उन्हें आत्मसंतुष्टि प्राप्त करने के लिए किसी मानव की मदद की आवश्यकता थी।

यह सुनकर रामनाथ का दिल भय से धड़कने लगा। क्या उनका घर वास्तव में भूतों की दुनिया के एक रास्ते पर बसा हुआ था? क्या वह व्यक्ति उन्हें भूतों की दुनिया में ले जाने का कोई रास्ता जानता था?

चिंतित होने के बावजूद, रामनाथ ने उस व्यक्ति को संबोधित करते हुए कहा, "मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ। बताओ, मुझे क्या करना होगा?"

व्यक्ति ने धीरे से हँसते हुए कहा, "धन्यवाद, रामनाथ। तुम्हें मेरे साथ बंदरगाह में आना होगा और वहाँ मुझे अपनी आत्मा को मुक्त करने के लिए मदद करनी होगी। हमें एक विशेष रूढ़िवादी रीति का अनुसरण करना होगा, जिसका प्रभाव मेरी आत्मा पर होगा। क्या तुम तैयार हो?"

रामनाथ ने सामर्थ्यवान ढंग से कहा, "हाँ, मैं तैयार हूँ। मुझे बताओ, हम कब शुरू करेंगे?"

व्यक्ति ने एक आकर्षक मुस्कान के साथ कहा, "आज रात, जब अंधकार सबसे गहरा होता है, हम अपनी यात्रा की शुरुआत करेंगे। तब हम अंधकार के पर्दों से गुजरकर भूतों की दुनिया में पहुंचेंगे।"

रामनाथ का मन भय से भर गया, लेकिन उन्होंने अपने आप को आत्मनिर्भर बनाने का फैसला किया। वह तय कर चुके थे कि वह अपने धैर्य, साहस, और संकल्प के साथ उस रहस्यमय यात्रा में सहयोग करेगे।

इस तरह, रामनाथ और व्यक्ति ने एक रहस्यमय और भयानक यात्रा की शुरुआत की, जो उन्हें अंधकार के पर्दों के पीछे ले जाने वाली भूतों की दुनिया में ले जाएगी। यह यात्रा रामनाथ के जीवन की सबसे रोमांचक और डरावनी अनुभवों में से एक बन जाएगी।

To be continued